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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भगवान शिव का मन्दिर

बड़ा नाम सुना था उस मन्दिर का, लोग कहते है सच में वहां भगवान शिव विराजमान है, पर मुझे कभी यकीन नहीँ हुआ, भला भगवान शंकर साक्षात् किसी भी मन्दिर में कैसे रह सकते है, फिर भी मै वसुंधरा अपने परिवार जनो के संग उस मन्दिर के दर्शन को निकल गयी, मन्दिर काफी दूर था,,,,, और हमारे गाँव से ईरिक्शा के जरिये मन्दिर तक पहुंचने में पांच घंटे लगे,,,,, इतना समयानुसार लगने वाला था इसलिए हम सुबह 5 बजे ही घर से निकले थे, और 10 बजते बजते हम मन्दिर के सामने खडे थे, देखने से तों यह मन्दिर बिल्कुल आम मन्दिर की तरह साधारण ही लग रही थी, मामूली सा ढाँचा.... मन्दिर से निकलते ही सामने एक बरगद का पेड और पेड से ठीक निचे बड़ी सी नदी........ धूप भी पुरी मन्दिर तक नहीँ पहुंच पा रही थी.... भला इस मन्दिर में असि क्या खाश बात हो सकती है जो भगवान शिव यहां ठहरे हुए है...... चलो मन्दिर जाकर देखते है...... मन्दिर के भीतर प्रवेश करते ही इतनी शीतलता महसूस हुई जैसे किसी ने Ac ऑन क़र रखी हो, मन्दिर के बीचोबीच एक सफ़ेद शिवलिंग विराजमान था, और शिव लिंग के थी बाहर नंदी महराज भगवान शंकर के पहरेदार बने हुए थे, सामने बर्गर बरगद ...

Bhagwan-Shiv-dwara-kiye-Gaye-Chamatkar-ki-kahani : भगवान शिव के तले पावन गाँव

मेरी मां मुझे अक्सर अच्छी..... अच्छी कहानियां सुनाया करते थी, जब छोटी थी मुझे साधुओं की कहानियां सुनाइ, प्रेतों की कहानियां सुनाएं  छोटे बदमाश बालकों की कहानियां सुनाती , और एक दूत की कहानि सुनाई थी, बाकी सब तो मुझे इतने अच्छे नहीं लगे मगर दूत की कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी, और वही कहानी मैं आपको सुनाने जा रही हूं उम्मीद है आपको अच्छी लगेगी............  दक्षिण भारत का रहने वाला रामनिवास भगवान शिव का भक्त था, पर उसकी वेशभूषा से कभी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि वह भगवान शंकर का भक्त है सभी उसे वैष्णव समझते, सिर पर सिखाएं, रखने वाला भला वैष्णो ना होगा तो और क्या होगा......  परंतु आस्था का तो कोई रूप रंग नहीं होता भगवान शंकर का वह भक्त था और भगवान शंकर भी क्या बात स्वीकार कर चुके थे, रामनिवास के अधीन कई मंदिरों की सफाई का कार्य रहता और वह प्रात काल उठते सभी मंदिरों को साफ करता, यही उनकी दिनचर्या बन गई, पुराने लोगों के कहने अनुसार भगवान शंकर एक ऐसे देव हैं जो अपनी पूजा से ज्यादा, अपने स्थान की सफाई से प्रसन्न होते हैं  जो लोग भगवान शंकर की बिना दीप प्रज्वलित किए बिना...

purwabhas : ईश्वर द्वारा दिया जाने वाला ूपुर्वांभास : सच्ची घटनापर आधारित

रहस्यों के बिच फ़सी एक जिंदगी.....की कहानी भौतिक जीवन के अलावा दूसरी दुनिया के अनुभवों को महसूस करना हर किसी के बस की बात कहा है,,,, ऐसे लोग संसार मे बहुत कम होते है,,,,औऱ उन कम लोगो मे एक नाम प्रियंका का भी था....ज़ब भी वह कोई गलती करती उसके आस पास ऐसे लोग आने सुरु हो जाते जिन्हे ना तों वो ठीक से देख पाती,औऱ ना ही पहचान पाती, जाने किस उद्देश्य से जन्मी थी प्रियंका......... प्रकीर्ति से सीखने की ललक थी इसलिए प्रकृति से जुड़ी हर चीजों को गौर से नहीं आती थी उसके अंदर विशाल प्रश्नों का अंबार था जैसे आसमान कितना बड़ा है नदी का पानी बैठे-बैठे जाता कहां है, रात में पक्षियों सोती कहां है और ना जाने ऐसे कितने सवाल उसके मन में हर दिन आते थे, भरे पूरे माहौल में पली-बढ़ी प्रियंका अपने लोगों में अलग पहचान रखती थी,  ईश्वर के प्रति उसकी गहरी आस्था थी, शायद इसलिए उसके मार्ग में आगे बढ़ने के लिए बेबी उसकी मदद करते थे,  पक्षियों से उसकी बचपन से अच्छी बनती थी, जब 18 वर्ष की हुई उसके पिता ने एक नया घर खरीदा, घर के आस-पास पक्षि बड़ी तादाद में रहते थे, एक दिन जब वो छत पर खड़ी थी, एक बड़ा...

Aghori-ne-bataya-Kund-Ka-Rahasya : कुंड का रहस्य : परब्रह्म दिलाने वाला दिब्य कुंड

शहर के बीचोबीच एक गांव में स्थित कुंड के पीछे कई सारे रहस्य छुपे हुए थे, जिससे जानने के लिए कई लोगों के मन में स्कूल के करीब जाने के सवाल भी आते तो पीछे हट जाते हैं क्योंकि वह कोई मामूली कुंड नहीं था कहते हैं वहां एक ऐसा पत्थर है जो के पद में चिन्ह की शक्ल लिए है,  और जो कोई भी उस पद में चीन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता, वहां जाने कहां से एक पीला नाग उपस्थित हो जाता,  यह कुंड कई सदियों से जस का तस पड़ा है, हालांकि इसके आसपास का भवन पूरी तरह से जर्जर होने को है फिर भी इसका जीर्णोद्धार करने की वाला ऐसा कोई मनुष्य नहीं है, क्योंकि वह सभी उस कुंड के आसपास जाने से डरते हैं, जाने कौन अपराध हो जाए जिसे भगवान नाराज होकर हमें श्राप दे दे,  इसके अतिरिक्त वहां कई साधुओं की मंडली देखी जाती है, कई सारे ऐसे मां सोते हैं जिसने अघोरी साधु वहां बैठकर तप करते हैं, और कुछ दिनों बाद वहां से अंतर्ध्यान हो जाते हैं, वह कहां जाते हैं इसका भी किसी को कुछ भी ज्ञात नहीं,ल  कहते हैं उस कुंड में अद्भुत शक्तियां छुपी हुई है, कुछ लोग यहां खजाने दबे होने की बात नहीं बताते हैं, पर स...

kalyug-ka-Teesra-Roop : कलयुग का तीसरा औऱ खतरनाक रूप

आँखों के सामने आये अचानक एक दृश्य से बाबा बैजनाथ कुछ परेशान से दिख रहे थे, शिष्यों ने उनसे पूछने की कोशिश भी की पर उन्होंने कुछ बताना जरुरी नहीँ समझा,,,,,, भला ये नाजुक से शिष्य उस डरावने मंजर को देख क्या समझ पाएंगे....    बात बेचैन करने वाली तों थी....आखिर बात थी ही कुछ ऐसी......जिस तरह संसार मे अच्छी शक्तिया परस्पर एक दूसरे को जोड़कर बड़ी शक्तिया बनकर सामने अति है,वैसे ही बुरी शक्तिया भी अपने जैसो को ढूंढ़ कर विकरालरूप धारण करने की कोशिश मे लगी रहती है, ताकि वह राज कर सके उस प्राणी जगत पर जंहा सब कुछ दृष्टि की मदद से साक्षात् प्राप्त हो जाता है, बाबाजी बैजनाथ ने भी हजारों सालो से कैद उस बुरी शक्ति के पुनः जागृत होने औऱ कहीं भूल से प्राणी जगत पऱ हावी होने को लेकर चिंता  ब्यक्त की है, जिसप्रकार अच्छाई का वास है, उसी प्रकार अँधेरे मे बुराई भी निवास करती है, परन्तु हमारे अंदर की ऊर्जा इतनी शक्ति शाली नहीँ होती की हम उन अच्छी या बुरी शक्तियों को खुली आँखों से देख पाए, पर कोई ऐसा जरुरत होता है जिसे अच्छी बुरी चीजों का आभास हो जाता है, जैसे बाबाजी बैजनाथ को हुआ था.......

राजा का सम्राज्य और नीले जल की जलपरी

पुरानी मान्यताओं को जिन्दा रखने वाले अभी भी कई गाँव ऐसे है जो भले दुनिया के किसी कोने में क्यूँ ना हो वहां के ब्यक्ति कहीं भी बसने के बाद भी अपनी मुलाक़ात संस्कृति नहीँ छोड़ते...... येlकहानी दीपू की है जो एक टापू नुमा जगह पर रहता था, सायद भुत काल में वह आदिवासी ही रहा होगा, मगर अब वहां के लोग आम जिंदगी जी रहे है क्युकि उस टापू को मेन शहर से जोड़कर वहां के रहने वालो को लिए शहर की सारी सुविधाएं खोल दि गयी है, और समय बीतता रहा, पहनावे से वहां के लोग भी शहरी द्खखने लगे, शहर जाकर बच्चे पढ़ने लिखने लगे, और कइयों को तों अच्छी नौकरिया भी मिल चुकी है, जिससे धीरे धीरे ही सही पर टापू का नक्शा बदल रहा है, उस टापूपर स्थित गाँव का नाम शीतला था, यहां के लोग बोली चली से बिल्कुल सीधे साधे है, और पुरानी मान्यताओ के अनुसार यहां समुन्द्र में रहने वाली एक जलपरी की सालाना पूजा करने की जाती है, यह जलपरी इनलोगो पर अपना आशीर्वाद रखती है, कहते है की किसी ने उस जलपरी को कभी देखा तों नहीँ पर वह देवी की तरह सबके सपनो में आकर उसके मन के सारे तकलीफो को दूर क़र देती है, इस जलपरी का नाम नीले जल की जलपरी बताया थ...