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Ishwar-ki-adalat : ईश्वर की अदालत

ईश्वर औऱ भक्त का रिश्ता कुछ ऐसा है मानो एक उदास हो तों दूसरा भी अन्न ग्रहण नहीँ कर पाता, भक्ति की शक्ति ईश्वर क़ो उस चौखट तक भी ले आते है, जंहा भक्त रहता है, ये कहानी इसी पर आधारित है, कहानी ये कहानी परमानंद नामक ब्राह्मण का था,,,,जो बचपन से अपने पिता क़ो पूजा पाठ औऱ हवन इत्यादि करते देखता था, हलाकि उस उम्र मे उसे इन सब चीजों मे परमानंद को कोई रुचि नहीं थी, क्योंकि उसकी उम्र तो बस अभी खेलने कूदने की थी,  पर हां वह इतना जरूर समझता था कि धर्म-कर्म इंसान के लिए बहुत जरूरी होते हैं, परमानंद को बचपन से जीव जंतु तथा मॉक प्राणियों से बहुत लगाव था,  वह नन्हें पालतू जानवरों को हमेशा आश्रय देता था, एक बार उसने एक कुत्ते के बच्चे को अपने घर में आश्रय दिया था,  वह पिल्ला देखते ही देखते अपने दो और साथियों को घर में ले आया,,, परमानंद ने उसके बचपने को नजरअंदाज करते हुए सभी को आश्रय दिया, परमानंद उन सभी से खेलता और खिलाता था, उस घर में परमानंद के पिता माता और दो छोटे भाई रहते थे,,, हालांकि परमानंद के दोनों भाई भी बहुत समझदार और दयालु थे,  इसलिए परमानंद की गैरमौजूदगी में उन...